कतलखाने अगर बंद करवाने हो तो सबसे पहले हमे कतलखानो से निर्मित वस्तुओ का उपयोग बंद करना पड़ेगा|
जब तक हम पशुओ के शरीर से निर्मित वस्तुओ का उपयोग करते रहेंगे तब तक नरेंद्र मोदी तो क्या साक्षात भगवान भी नीचे आकर कतलखाने बंद नही करवा सकेंगे तथा जीवदया मे जितना फंड डाला जा रहा हें
उतना ही फंड मांस खाने से होने वाले नुक़सानो के प्रचार मे अगर लगाया जाए तो 5 साल में पूरे भारत के सभी कतलखाने अपने आप बंद हो जाएँगे|
पूरी दुनिया विविध समस्याओं से परेशान है|प्रत्येक व्यक्ति समस्यामुक्त तथा शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है और ऐसा जीवन कैसे जिया जाए यह जानकारी हमारे प्राचीन ग्रंथों में भरी पड़ी है क्योंकि उन ग्रंथों को लिखनेवाले त्रिकालज्ञानी थे|
हम अगर उन रहस्यों को बाहर निकाले और उन पर फिल्म बनाकर विविध देशो में विविध भाषा में दिखाना चालु कर दे तो हमारी परम शांतिदायक जीवनशैली को लोग पैसा चुकाकर भी सीखना चालु कर देंगे|
जैसे भारतीय योग पूरे विश्व में छा गया वैसे हमारे ग्रंथों में ऐसी सेंकड़ों बातें हैं जिससे हम अरबो रुपये कमा सकते हैं और लोगो को सही राह दिखा सकते हैं|
आप भी अगर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हो और इसके लिए भारतीय सिद्धांतों का अध्ययन करना चाहते हो तो हमसे अवश्य संपर्क करें|
जहाँ पर आधी से ज्यादा आबादी को रोटी-कपड़ा और मकान जैसी अत्यावश्यक वस्तुए भी उपलब्ध न हो ऐसे भारत देश में स्मार्ट सीटी और बुलेट ट्रेन के नाम से अरबों-खरबों रूपये खर्चना उचित है?
या इस देश का एक भी नागरिक भूखा न सोए यह देखना जरूरी है? क्योंकि भूखा व्यक्ति अपने पेट की आग बुझाने किसी भी प्रकार का अपराध करने से नहीं डरता|
City भले Smart बन जाए पर Citizen अगर भूखे ही रहे तो अपराध घटेंगे कैसे? और ऐसी अपराध युक्त मायानगरी से तो भारत का कोई अविकसित गाँव अच्छा जहाँ पर लोग दिनभर घर का दरवाजा
खुल्ला रखकर मस्ती से अपना काम करते रहते हैं|
क्या कभी सोचा कि विविध कारणों से दिन-प्रतिदिन मानवों का मृत्युदर बढ़ता क्यों जा रहा है? और उसमे भी समय से पहले मरनेवालों कि संख्या बढती क्यों जा रही है?
इसका कारण है "LAW OF BALANCE" यानी "समानता का सिद्धांत"|
इस सिद्धांत के अनुसार मानव जितने अंश में अन्य जीवों की हिंसा करता है उतने ही अंश में मानवो की संख्या भी अपने आप घटने लगती है और यह बात वर्तमान में हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई दे रही है|
अतः हमें अगर जीवित रहना हो तो इस विश्व की समग्र जीवसृष्टि को जीवित रखना ही पड़ेगा|
वर्तमान विज्ञानने वनस्पति को भी जीव रूप से स्वीकार किया है पर मात्र वनस्पति ही नहीं पर पृथ्वी-जल-अग्नि और वायु में भी हमारे जैसी ही आत्मा है ऐसा त्रिकालज्ञानी भगवान महावीरने कहा है|
इनकी भी बिनजरूरी हिंसा बंद होगी तब ही मानवों की हिंसा में भी कमी आएगी|
'21'वी सदी को अगर कोई नाम देना हो तो उसे 'समस्याओं की सदी' कह सकते है|
आज प्रत्येक व्यक्ति अंदर से अशांत है. सभी को शांति चाहिए पर उसे कैसे पाया जाए यह बहुत ही कम लोगो को पता है. वास्तव मे हम जैसा बीज बोते हैं वैसा ही हमें फल मिलता है|हम अगर दूसरो को शांति देंगे तो ही हमें भी शांति मिलेगी|
त्रिकालज्ञानी भगवान श्री महावीर के अनुसार मात्र मनुष्य-पशु-पक्षी तथा कीड़े-मकोडे ही नहीं पर पृथ्वी-जल-अग्नि-वायु और वनस्पति में भी हमारे जैसी ही आत्मा है|
हमें जैसे दुःख पसंद नहीं है वैसे जीव मात्र को भी दुःख पसंद नहीं है इसलिए हमें अगर सुखी होना हो तो हो सके तब तक हमारे द्वारा एक भी जीव दुःखी ना हो ऐसी जीवनशैली अपनानी ही
पड़ेगी क्योंकि दूसरों की कब्र पर कभी कोई व्यक्ति खुद के सुख का महल खड़ा नही कर सकता|
"शांति देने से ही शांति मिलती है" इस बात का जितना ज़्यादा प्रचार होगा उतनी ही विश्व की सारी समस्याएँ अपने आप हल होती जाएँगी| आप भी इस बात का ख़ास-ख़ास प्रचार करें|
घर की महारानी को किसी के ऑफीस की नोकरानी बनाने की साजिश...
स्त्रीओ को नोकरी के फंदे मे डालकर लाखो पुरुषो को बेरोज़गार बनवाकर समाज मे अपराध और आत्महत्याओ को बढ़ाने का पैतरा…
फेशन के नाम पर क्रमश: कपड़े कम करवाकर अंत मे उसके सौंदर्य को बाजारू वस्तु बना देने की सुनियोजित योजना...
भारत मे कोई महापुरुष वापस जन्म ना ले ले इसलिए भारत की समस्त स्त्रीओ की पवित्रता भ्रष्ट करने का महाषडयंत्र ...
पूजापात्र नारी को दयापात्र बनाकर देवताई तत्वो को इस धरती पर आने से रोकना क्योकि शास्त्रो में स्पष्ट लिखा है की,"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते , रमन्ते तत्र देवता". यानि ,"जहाँ पर नारीयो की पूजा होती है वहा पर देवता नृत्य करते है"...
50 वर्ष पहेले हमारे पूर्वज हमे पशु-पक्षी एवम् वनस्पति से हरे-भरे वन,शुद्ध जल से युक्त बारह महीने बहती नदियाँ,शुद्ध हवा,शुद्ध अन्न और एक दूसरे के लिए प्राण देनेवाले निरोगी तथा दीर्घायुषी लोगो के समुहवाला वातावरण देकर मरे थे|
50 वर्ष बाद हम जब मरेंगे तब हमारी भावी पीढ़ी को हम जो देकर मरेंगे वो शायद ऐसा होगा ...
जलचर रहित ज़हरीली नदिया,ज़हरीला सागर,ज़हरीली ह्वा,ज़हरीली ज़मीन,ज़हरीला भोजन,प्राणीजगत एवं वनस्पति से रहित वन,अत्यंत भयंकर गरमी,हाइड्रोजन बॉम्ब से 90% विनष्ट पृथ्वी और एक दूसरे के प्राण हरने आतुर रोगी-अल्पायुषी और ज़हरीले मानव|
क्या इसका ही नाम विकास है ? ? ज़रा सोचो हमे कैसा विकास चाहिये ??
जो खुद के आत्मा की जानकारी को छोड़ कर पूरी दुनिया की जानकारी लेने social मीडिया पर दिन रात आँख फाड़ कर बैठा हुआ है ऐसे विश्वचिन्तक को
मरने के बाद जब पशु का अवतार मिलता है तब यही दुनिया उसे फाड़कर खा जाती है क्योंकि पशुओं को कटने से बचाने की क्षमता तो मोदीजी में भी कहाँ है ?
भले वे अहिंसा की बड़ी-बड़ी बाते क्यों ना करते हो | आखिर तो मन की बात करते है, आचरण की बात थोड़ी करते है ?
शिष्य: बरसों से साधना कर रहा हूँ | प्रभु मुझसे खुश है या नहीं यह कैसे पता चले?
गुरु: तुम्हारे संपर्क में जो भी जीव आए, चाहे वे मानव हो या पशु ,वे अगर तुम से खुश है तो समझना कि प्रभु भी तुमसे खुश है|
शिष्य: सभी को खुश रखना तो कैसे शक्य है ? एक-आध जीव को हम खुश ना भी कर सके तो?
गुरु: सभी को खुश रखना भले शक्य न हो पर किसी को दु:खी न करना यह तो शक्य ही है | इतना भी कर लो तो समझना की प्रभु हमसे खुश है|
सार: प्रत्येक जीव के साथ भगवान जैसा व्यवहार करनेवाला कुछ ही जन्मों में खुद भी भगवान बन जाता है|
भारत और पाकिस्तान जब से अलग हुए है तब से अब तक दोनों देशो में प्रतिवर्ष अरबों-खरबों रुपये शस्त्र-सेना तथा सीमा की सुरक्षा के लिए खर्च किये जा रहे है |
कारण भले काश्मीर हो या कोई भी हो पर हमें ऐसा लगता है कि दोनों देश सेना और शस्त्रों में जितना धन खर्च रहे है वो ही धन खुद-खुद के देश की
प्रजा के उद्धार में लगा दे तो दोनों ही देश 8-10 वर्ष में विश्व में top-5 में आ जाएँगे |
जैसे दो बिल्लीओं की लड़ाई में बंदर रोटी ले जाता है वैसे हम विश्व में सबसे आगे न बढ जाए इसलिए बरसों से हमें लडवाया जा रहा है और हमें महंगे-महंगे शस्त्र बेचकर
वे विदेशी लोग खुद की मंदी दूर करते रहते है |
आपस में लडकर उनकी गरीबी दूर करनी है या खुद की शक्तिओं का सदुपयोग कर फिर से विश्वगुरु तथा सोने की चिड़िया बनना है ये सोचने का समय अब आ गया है |
हम जिन वस्तुओं का गर्व करते है तथा जिन वस्तुओं का बिनजरुरी संग्रह करते हैं वे वस्तुएँ भविष्य में हमें कभी वापस नहीं मिलती तथा हम जिन वस्तुओं का दान करते हैं वे
वस्तुएँ अनेक गुना ज्यादा बनकर निरंतर हमें मिलती ही रहती हैं ऐसा होने से हमे कभी किसी बात का गर्व नहीं करना चाहिए तथा खुद की जरूरत से
ज्यादा एक भी वस्तु का संग्रह नहीं करना चाहिए तो लक्ष्मीजी कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेगी |
जितने भी मांस खानेवाले प्राणी है वे प्राय: आक्रमक तथा हिंसक होते है तथा ज्यादातर समाज से बाहर जंगल में ही रहते है |
वर्तमान मानव समाज में भी परस्पर आक्रमण तथा हिंसा बढती जा रही है एवं परिवार को छोड़कर अकेले रहने की मनोदशा बढती जा रही है उसका कारण कहीं मांस का भक्षण तो नहीं ?
Mother Day के दिन माँ के लिये जितना प्यार Twitter - facebook – Whatsapp तथा Social Media पर उमड़ रहा है, उसका आधा भी अगर असल जिन्दगी में उमड़ जाए,
तो देश के सारे वृद्धाश्रमों में कायम के लिए ताले लग जाए ..
जिसके बिना हमें नहीं चलता उन वस्तुओं में ही हमें जन्म लेना पड़ता है जैसे जो चाय का अतिशय दीवाना हो तो उसे मरने के बाद चाय के पौधे में पत्ती के रूप में जन्म लेने की पूरेपूरी तैयारी रखनी चाहिए |
जो Gold का दीवाना है वो मरकर खुद Gold के जीव के रूप में उत्पन्न हो सकता है |
सीता जब खुद लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन करती है तब ही रावण के द्वारा उसका अपहरण होता है इसी न्याय के अनुसार वर्तमान की सीताए जब खुद के परिवार-समाज-धर्म-और
वस्त्र की लक्ष्मणरेखाओं का उल्लंघन करती है तब ही वर्तमान के रावण उस पर अपना हाथ अजमाते है|
इन सीताओं को अगर वास्तव में सुरक्षा देनी हो तो उन्हें ऐसे स्थान पर ही रखो जहाँ पर वर्तमान के रावणों की दृष्टि भी ना पड़ती हो बाकी
खजाने को जाहेर में खुल्ला रखने के बाद कोई उसे लुंटे नहीं ऐसी आशा रखना वो मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने के समान ही है |
जहाँ पर सुरक्षा ही न हो सके ऐसी स्वतंत्रता का क्या मतलब ?
हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जैसे-जैसे व्यक्ति खुद की सांसारिक इच्छाओ को घटाने लगता है वैसे-वैसे उसकी योग्यता बढ़ने लगती हैं और योग्यता बढ़ने के कारण उसे
सभी प्रकार की समृद्धिया सामने से मिलने लगती है तथा जैसे-जैसे वह समृद्धि प्राप्त करने की इच्छावाला बनने लगता है वैसे-वैसे उसकी अयोग्यता के कारण मिली हुई समृद्धिया भी उसके पास से धीरे-धीरे दूर चली जाती है |
ऐसा होने से जिसे वर्तमान जन्म में तथा मरने के बाद अगले जन्म में भी भौतिक पदार्थो से समृद्ध बनाने की इच्छा हो उसे स्वप्न में भी इन सांसारिक पदार्थो की इच्छा नहीं रखनी
चाहिए और इसके लिये अत्यंत आवश्यक वस्तुओं के सिवाय १ सुई का भी बिनजरुरी संग्रह नहीं करना चाहिए |
अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करके चमत्कारिक शक्ति के स्वामी कैसे बना जाए ? तथा जीवन में प्रतिक्षण परम शांति का अनुभव कैसे प्राप्त करे ? वो अगर जानना चाहते हो तो हमसे अवश्य संपर्क करे |
पहले की सीता रावण से परेशान थी , आज की सीताओं से रावण भी परेशान है|
पहले की सीता तो अग्निपरीक्षा में से हेम-खेम बाहर नीकल गई थी जबकि आज की सीताए तो जहाँ जा रही है वहां पर आग लगा रही है |
पहले की सीतामैया के शरीर का कोई अंग दिख जाए तो देखनेवाला नसीबवाला कहलाता जबकि आज की सीता के शरीर पर कोई वस्त्र दिख जाए तो देखनेवाला नसीबवाला कहलाया जाएगा |
पहले की सीता के २ पुत्र थे लव और कुश जबकि आज की सीता के २ सूत्र है लव और खुश | यानि- लव करने के बाद अगर आपने उसे खुश ना रखा तो वह ही आपका त्याग कर किसी और के पास पहोंच जाएगी |
आपको रामचंद्रजी की तरह उसे जंगल में भेजने की जरुरत नहीं पड़ेगी |
पहले की सीता को बचाने तो रामजी खुद आए थे पर वर्तमान के सीताओं की हालत तो ‘ राम भरोसे हिंदु होटल ‘ जैसी है |
अब तो जहाँ संस्कारी स्त्री देखने मिले वहां रामराज्य समझना |
भारतीय संस्कृति के शीर्षासन की यह तो शुरुआत है इसका अंत क्या होगा वो तो राम जाने |